ट्रंप की टैरिफ नीति का झटका: भारत को 7 दिन की राहत, कनाडा पर आज से 35% शुल्क, चीन फिलहाल सूची से बाहर

 ट्रंप की टैरिफ नीति का झटका: भारत को 7 दिन की राहत, कनाडा पर आज से 35% शुल्क, चीन फिलहाल सूची से बाहर


नई दिल्ली / वॉशिंगटन – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। उन्होंने एक कार्यकारी आदेश के जरिए 69 देशों और यूरोपीय संघ से आयात पर भारी-भरकम टैरिफ (शुल्क) लगाने का ऐलान किया है। हालांकि भारत को फिलहाल 7 दिन की मोहलत दी गई है, लेकिन कनाडा पर आज (1 अगस्त) से 35% शुल्क लागू कर दिया गया है। आश्चर्यजनक रूप से, चीन अभी इस टैरिफ लिस्ट में शामिल नहीं है।


क्या है मामला?


31 जुलाई को जारी आदेश के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने 'रिसिप्रोकल टैरिफ' नीति के तहत यह फैसला लिया है। इस नीति के तहत अमेरिका उन देशों से समान स्तर का टैक्स वसूलेगा, जितना वे अमेरिका से आयात पर लगाते हैं। यह कदम अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के मकसद से उठाया गया है।




भारत की स्थिति:


भारत पर 25% आयात शुल्क लगाया गया है, लेकिन इसकी प्रभावी तिथि 7 अगस्त 2025 से है। इस देरी का कारण भारत और अमेरिका के बीच चल रही बातचीत है। ट्रंप प्रशासन भारत से कृषि बाजार खोलने और डिजिटल व्यापार नियमों में ढील की मांग कर रहा है।


भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा है, “भारत अपने किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा। हम अमेरिका से बातचीत के जरिए समाधान निकालना चाहते हैं।”




कनाडा को सबसे बड़ा झटका:


कनाडा पर आज से ही 35% शुल्क लागू हो गया है। अमेरिका ने इस पर आरोप लगाया है कि वह फेंटानाइल जैसी खतरनाक दवाओं की तस्करी को रोकने में विफल रहा है, जिसके चलते अमेरिका में नशाखोरी की समस्या और बढ़ी है।


चीन फिलहाल टैरिफ लिस्ट से बाहर:


चीन पर कोई नया शुल्क लागू नहीं किया गया है। हालांकि, व्हाइट हाउस के सूत्रों के अनुसार, 12 अगस्त तक चीन पर भी फैसला लिया जा सकता है। ट्रंप पहले भी चीन पर भारी शुल्क लगा चुके हैं और इसे "फेयर ट्रेड" के नाम पर सही ठहराते हैं।


अन्य देशों पर प्रभाव:




ब्राज़ील – 50%


स्विट्ज़रलैंड – 39%


पाकिस्तान – 19%


ताइवान – 20%


म्यांमार, लाओस – 40%


सऊदी अरब, ईरान – ~30%



कुल मिलाकर, यह कदम अमेरिकी बाजार को सुरक्षित रखने और वैश्विक व्यापारिक नियमों को संतुलित करने के मकसद से लिया गया है। हालांकि आलोचकों का मानना है कि इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और विदेशी निवेश पर विपरीत असर पड़ सकता है।


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